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दिलीप कुमार उर्फ मोहम्मद यूसुफ खान

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 दिलीप कुमार के नाम से प्रसिद्ध एक्टर मोहम्मद यूसुफ खान का निधन हो गया है आज सुबह। वह एक पाकिस्तान मूल के निवासी थे मोहम्मद यूसुफ बॉलीवुड में आने के बाद अपना नाम चेंज करके दिलीप कुमार रख लिया बताया जा रहा है 98 साल की उम्र में उनकी मौत हुई है।                   

कांग्रेस

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  कांग्रेस के भीतर हिन्दुत्व को दी जानेवाली गालियों को इसलिए भी संरक्षण दिया गया क्योंकि इससे चर्च और इस्लामिक संगठनों को दूरगामी फायदा होता है। उन्हें कन्वर्जन करने में आसानी होती है, खासकर कामगार जातियों में।  पेरियार ने दक्षिण में जो हिन्दुत्व विरोधी बीज बोया उसकी फसल है ये जिसे काटने राहुल गांधी चर्च चर्च घूम रहे हैं। तमिलनाडु पंद्रह प्रतिशत ईसाई हो चुका है। लेकिन ये चित्र देखकर मुझे ये समझ नहीं आ रहा कि जिस हिनदुत्व से आजादी के लिए पंडित पुजारियों को गाली देकर कांग्रेस वेटिकन पहुंच गयी पर कांग्रेस कोउससे आजादी मिली कहां? वहां जाकर भी घुटने पर ही बैठना है तो यहां हाथ जोड़कर पालागी करने में क्या कष्ट है? खैर लोगों ने राहुल गांधी को मंदिर मस्जिद जाते भी देखा है लेकिन जितने सहज वो चर्च में दिखे, और कहीं नहीं दिखे। मंदिर मस्जिद में उन्हें बताना पड़ता है कि अब क्या करना है लेकिन चर्च में जैसे उन्हें हर कर्मकांड पता है कि कब क्या करना है। प्रीस्ट से आशिर्वाद लेते समय घुटने पर बैठा जाता है, ये मुझे राहुल गांधी को देखकर पता चला। वरना हम क्या जाने कि चर्च के क्या कर्मकांड हैं?"      

बंगाल

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 अमेरिकी पत्रकार जेनेट लेवी ने अपने ताजा लेख में दावा किया है कि कश्मीर के बाद बंगाल में जल्द ही गृहयुद्ध शुरू होने वाला है, जिसमे बड़े पैमाने पर हिन्दुओं का कत्लेआम करके मुगलिस्तान नाम से एक अलग देश की मांग की जायेगी। यानी भारत का एक और विभाजन होगा और वो भी तलवार के दम पर और बंगाल की वोटबैंक की भूखी ममता बनर्जी की सहमति से होगा सब कुछ। जेनेट लेवी ने अपने लेख में इस दावे के पक्ष में कई तथ्य पेश किए हैं। उन्होंने लिखा है कि   “बंटवारे के वक्त भारत के हिस्से वाले पश्चिमी बंगाल में मुसलमानों की आबादी 12 फीसदी थी। आज पश्चिम बंगाल में मुसलमानों की जनसंख्या बढ़कर 27 फीसदी हो चुकी है। कुछ जिलों में तो ये 63 फीसदी तक हो गई है। वही दूसरी ओर बांग्लादेश में हिंदू 30 फीसदी से घटकर केवल 8 फीसदी ही बचे हैं। ” जेनेट ने ये लेख 'अमेरिकन थिंकर' मैगजीन में लिखा है। ये लेख एक चेतावनी के तौर पर उन देशों के लिए लिखा गया है, जो मुस्लिम शरणार्थियों के लिए अपने दरवाजे खोल रहे हैं। जेनेट लेवी ने लिखा है कि किसी भी समाज में मुस्लिमों की 27 फीसदी आबादी काफी है कि वो उस जगह को अलग इस्लामी देश बनाने की मांग

रश्मि सामंत

 *‘हिंदू होना और जय श्रीराम कहना अपराध नहीं’: ऑक्सफोर्ड स्टूडेंट यूनियन की अध्यक्ष रश्मि सामंत का इस्तीफा* रश्मि सामंत ने ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी स्टूडेंट यूनियन की अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया है। कर्नाटक से आने वाली रश्मि ने हाल ही में स्टूडेंट यूनियन की पहली भारतीय महिला अध्यक्ष बनकर इतिहास रचा था। अपनी हिंदू पहचान और उपनिवेशवाद विरोधी विचारों को लेकर ऑनलाइन निशाना बनाए जाने के बाद उन्होंने इस्तीफा दिया है। कुछ पुराने सोशल मीडिया पोस्ट के जरिए सामंत को निशाना बनाते हुए इसे नस्ली और असंवेदनशील बताया गया। इन पोस्टों के जरिए उन्हें नस्लवादी, यहूदी विरोधी, इस्लामोफोबिक, ट्रांसफ़ोबिक बताने की कोशिश की गई। यहाँ तक कि उनके हिंदू होने को लेकर भी निशाना साधा गया। सामंत को 11 फरवरी को प्रतिष्ठित पद के लिए चुना गया था, लेकिन ऑनलाइन आलोचना और दुर्व्यवहार का सामना करने के बाद उन्होंने इस्तीफा दे दिया। दरअसल रश्मि सामंत ने 2017 में जर्मनी में बर्लिन होलोकास्ट मेमोरियल की यात्रा के दौरान एक पोस्ट में कुछ तस्‍वीरें पोस्‍ट की थीं, जिसमें वह मलेशिया के बुद्ध मंदिर के बाहर खड़ी हैं। इसके कैप्‍शन में उन

वीर सावरकर

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 कोंग्रेस के जमाने मे छुपे छुपायें हुऐ डॉक्यूमेंट वीर सावरकर ने खुद के लिए माफी नही ब्लकि सारे कैदियों के लिए दया याचिका मांगी थी : (सबूतों में ) इस समय देश में वीर सावरकर जी पर बहस चल रही है। झूठ की फैक्ट्री चलाने वाले अपनी आदत के मुताबिक बढ़ा-चढ़ा कर झुठ फैलाने में बेदम है।बार-बार हर बार साजिश के तहत यह झुठ फैलाया जाता है कि कालापानी जैसे सजा काटने वाले महान स्वातंत्र्य वीर सावरकर ने अंग्रेजों से माफी थी।जबकि सच्चाई यह है वीर सावरकर ने अपने लिए नही ब्लकि अंडमान जेल में बंद सारे कैदियों के लिए माफी मांगी थी।मटमैला रंग का दस्तावेज का जो पीडीएफ फोटो है वह पुरी तरह से असली है जो संकेत कुलकर्णी ने लंदन से प्राप्त की है उसे आप स्वयं पढ़ सकते हैं।जिसमें वह साफ शब्दों में अंडमान जेल के सारे कैदियों के लिए दया याचिका की मांग कर रहे हैं। ...अब आप कहेगें कि सावरकर जी ने सारे कैदियों के लिए माफी याचिका क्यों मांगी थी तो इसके लिए आपको वीर सावरकर के लिखी अंग्रेजी में एक पुस्तक पढ़ना होगा उस पुस्तक का नाम है।-- My Transporation Life है उस पुस्तक में टोटल 307 पेज है। यदि आपके पास पुरी पुस्तक पढ़ने का समय

संत रविदास

 संत रविदास को भी मुस्लिम बनाने का हुआ था प्रयास ------------------------------------------------------ संत रैदास ने जब समाज में तत्कालीन आततायी विदेशी मुस्लिम शासक सिकंदर लोदी का आतंक देखा तब वे दुखी हो बैठे। उस समय लोदी ने हिंदुस्थानी जनता को सताना-कुचलना और डराकर धर्म परिवर्तन कराना प्रारम्भ कर दिया था। हिन्दुओं पर विभिन्न प्रकार के नाजायज कर जैसे तीर्थ यात्रा पर जजिया कर, शव दाह करनें पर जजिया कर, हिन्दू रीति से विवाह करनें पर जजिया कर जैसे आततायी आदेशों से देश का हिन्दू समाज त्राहि-त्राहि कर उठा था। भारतीय-हिन्दू परंपराओं और आस्थाओं के पालन करनें वालों से कर वसूल करनें और मुस्लिम धर्म माननें वालों को छूट, प्राथमिकता वरीयता देनें के पीछे एक मात्र भाव यही था कि हिन्दू धर्मावलम्बी तंग आकर इस्लाम स्वीकार कर लें।  उस समय में स्वामी रामानंद ने अपनें भक्ति भाव के माध्यम से देश में देश भक्ति का भाव जागृत किया और आततायी मुसलमान शासकों के विरुद्ध एक आन्दोलन को जन्म दिया था। स्वामी रामानन्द ने तत्कालीन परिस्थितियों को समझकर कर विभिन्न जातियों के प्रतिनिधि संतों को जोड़कर द्वादश भगवत शिष्य मण्

रविदास जयन्ती

*चमार कोई नीच जाति नहीँ, बल्कि सनातन धर्म के रक्षक है*     *चमार कोई नीच जाति नहीँ, बल्कि सनातन धर्म के रक्षक जिन्होंने मुगलोँ का अत्त्याचार सहा परन्तु धर्म न त्यागा आप जानकार हैरान हो सकते हैं कि भारत में जिस जाति चमार बोला जाता है वो असल में चंवरवंश की क्षत्रिय जाति है। यह खुलासा डॉक्टर विजय सोनकर की पुस्तक – “हिन्दू चर्ममारी जाति:एक स्वर्णिम गौरवशाली राजवंशीय इतिहास” में हुआ है।  *इस किताब में डॉ सोनकर ने लिखा है कि – “विदेशी विद्वान् कर्नल टॉड द्वारा पुस्तक “राजस्थान का इतिहास” में चंवरवंश के बारे में बहुत विस्तार में लिखा गया है।”*  *डॉ सोनकर बताते हैं कि – “इतना ही नहीं बल्कि महाभारत के अनुशासन पर्व में भी इस वंश का उल्लेख है। हिन्दू वर्ण व्यवस्था को क्रूर और भेद-भाव बनाने वाले हिन्दू नहीं, बल्कि विदेशी आक्रमणकारी थे!” जब भारत पर तुर्कियों का राज था, उस सदी में इस वंश का शासन भारत के पश्चिमी भाग में था, उस समय उनके प्रतापी राजा थे चंवर सेन। इस राज परिवार के वैवाहिक सम्बन्ध बप्पा रावल के वंश के साथ थे। राणा सांगा और उनकी पत्नी झाली रानी ने संत रैदासजी जो कि चंवरवंश के थे, उनको मेव